Duga Radar : जब रूसी टक-टक ने पूरी दुनिया के सिर में दर्द कर दिया था

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अगर आप शीत युद्ध (Cold War) के दौर की रहस्यमयी सैन्य तकनीकों में रुचि रखते हैं, तो रूस का Duga Radar आपके लिए किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं। 1970 के दशक से लेकर 1989 तक, यह विशाल रडार सिस्टम दुनिया भर के रेडियो प्रेमियों के लिए पहेली बना रहा। uplive24.com पर पढ़ें इतिहास।

सोचिए, आप 1970 के दशक में किसी पुराने रेडियो पर दुनिया भर के शॉर्टवेव स्टेशन ट्यून कर रहे हैं। अचानक एक अजीब आवाज कानों में पड़ती है - टक-टक-टक...। जैसे कोई अदृश्य कठफोड़वा लगातार आपकी रेडियो फ्रिक्वेंसी पर चोंच मार रहा हो। यह कोई मजाक नहीं था, यह असली में दुनिया भर के रेडियो सुनने वालों का सिरदर्द था।

बाद में पता चला कि इस आवाज के पीछे था सोवियत संघ का एक गुप्त प्रोजेक्ट - Duga Radar (डूगा रडार)। इसकी टक-टक वाली आवाज के कारण दुनिया ने इसे नाम दिया Russian Woodpecker।

Duga Radar था क्या?

यह असल में एक Over-the-Horizon Radar था। मतलब ऐसा रडार जो सीधी नजर से भी आगे, क्षितिज के पार तक देख सकता था। आम रडार सीधा सिग्नल भेजकर सामने की वस्तु से टकराकर वापस आने वाले सिग्नल को पकड़ता है, लेकिन उसकी सीमा सीमित होती है।

Duga Radar की तकनीक ऐसी थी कि यह रेडियो सिग्नल को धरती के ऊपर मौजूद आयनोस्फेयर (एक तरह की ऊपरी गैस परत) से टकराकर वापस भेजता था। इससे यह हजारों किलोमीटर दूर तक चीजें डिटेक्ट कर सकता था।

इसे बनाया क्यों गया?

यह सब हो रहा था शीत युद्ध (Cold War) के समय, जब अमेरिका और सोवियत संघ एक-दूसरे से आगे निकलने की दौड़ में थे। Duga Radar का मकसद था कि अगर अमेरिका कहीं से भी परमाणु मिसाइल छोड़े, तो सोवियत संघ को तुरंत पता चल जाए। यह अर्ली वार्निंग सिस्टम था, यानी खतरा आने से पहले अलर्ट करने वाली मशीन।

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यह कहां था?

Duga Radar का सबसे मशहूर स्टेशन यूक्रेन के चेर्नोबिल (Chernobyl) के पास था, जिसे बाद में Duga-3 कहा गया। यह इतना बड़ा था कि इसकी ऊंचाई 150 मीटर और लंबाई 700 मीटर से भी ज्यादा थी, मानो किसी ने लोहे का जंगल खड़ा कर दिया हो। इसके दूसरे हिस्से साइबेरिया में थे।

दुनिया भर में क्यों मचा हंगामा?

Duga Radar के सिग्नल बहुत ताकतवर थे - इतने कि ये जहाजों, हवाई जहाजों और शौकिया रेडियो ऑपरेटरों के रेडियो पर दखल देने लगते थे। टक-टक की आवाज इतनी अलग और लगातार थी कि जिसने भी सुनी, वह भूल नहीं पाया।

इससे जुड़ी कई अफवाहें भी फैल गईं। कोई कहता यह दिमाग़ नियंत्रित करने वाली मशीन है, कोई कहता मौसम बदलने का हथियार है। 

फिर बंद क्यों हो गया?

1986 में चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना हुई, और उस इलाके को इंसानों के लिए छोड़ दिया गया। साथ ही, 1980 के दशक के अंत तक नई सैटेलाइट तकनीक आने लगी, जो Duga Radar से ज्यादा सटीक और आसान थी।

आखिरकार, 1989 में Duga Radar को बंद कर दिया गया। लेकिन इसका ढांचा आज भी चेर्नोबिल के Exclusion Zone में खड़ा है, जंग खाता हुआ, पर अब भी उतना ही डरावना और रहस्यमय।

आज Duga Radar एक टूरिस्ट स्पॉट भी है और डॉक्यूमेंट्रीज, वीडियो गेम्स में भी खूब दिखता है। 

इसे तोड़ा क्यों नहीं गया?

Duga Radar का एक बेहद रोचक तथ्य यह है कि इतनी विशाल और महंगी संरचना होने के बावजूद इसे कभी तोड़ने की कोशिश नहीं हुई। इसका कारण सिर्फ ऐतिहासिक महत्व या तकनीकी जटिलता नहीं, बल्कि लॉजिस्टिक्स और रेडिएशन से जुड़ा है।

Duga Radar की ऊंचाई 50 मंजिला इमारत से भी ज्यादा है। यह एक छोटे शहर जितना बड़ा ढांचा है। इसे तोड़ने के लिए भारी मशीनरी और सैकड़ों लोगों की टीम की जरूरत होती।

दूसरी वजह है कि यह चेर्नोबिल के पास है, जहां 1986 की परमाणु दुर्घटना के बाद का रेडिएशन अब भी मौजूद है। इतनी खतरनाक ज़ोन में लंबे समय तक काम करना मजदूरों के लिए सुरक्षित नहीं होता।

एक वजह राजनीतिक और सांस्कृतिक भी है। सोवियत काल की यह संरचना Cold War की एक अनोखी निशानी है। कई लोग मानते हैं कि इसे छोड़ देना बेहतर है ताकि यह इतिहास की गवाही दे सके।

Duga Radar  अब urbex tourism यानी urban exploration tourism का हिस्सा बन चुका है। दुनियाभर से लोग इसे देखने आते हैं, जिससे यह एक तरह का अनौपचारिक म्यूजियम बन गया है।

https://uplive24.com/duga-radar-when-russian-technology-gave-the-whole-world-a-headache/

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